कदम तो राखो काशी में तर जाओगे काशी में
रंग, भंग और उमंग की नगरी काशी । नित नए उत्सवों , महोत्सवों
की काशी । सबको अपना मानने वाली काशी । हजारों रंगो से सराबोर काशी । विश्व की
सर्वाधिक पूजनीय नगरी काशी । त्रिशूल पर विराजित काशी ।
काशी के तो हजारो रंग है जो जिस भावना से
काशी को देखता है,, उसको काशी वैसी ही नजर आती है । रामचरितमानस में एक चौपाई है,, । ‘ जाकी रही भावना जैसी , हरि मूरत देखी तिन तैसी ’।
जिसने जिस नजर से काशी
को देखा उसको काशी वैसी ही नजर आई,,।
किसी ने काशी को रंग
की, तो किसी ने भंग की तो किसी ने उमंग की नगरी कहा ।
काशी को जीतना बहुत
आसान है, लेकिन दिल से , सत्य से , प्रेम से , करूणा से,। लेकिन यदि काशी को बल, छल-कपट से जीतना चाहेंगे तो आपका हाल औरंगजेब और रजिया सुल्तान जैसा ही होगा।
जिन्होने काशी
विश्वनाथ मंदिर को तुड़वाकर काशी की अस्मिता को ठेस पहुचानें की पूरी कोशिश की लेकिन
काशी की वो कशिश आज भी विद्यमान है ।
काशी तो वो नगरी है
जिसने शास्त्रार्थ में शंकराचार्य को भी परास्त किया है।
काशी में आकर हम काशी
की छवि को निहारने में इतने सरावोर हो जाते है खुद कि छवि भी भूल जाते है,, खूसरो
कहते है ना कि, अपनी छब बनाई के जो मैं पी के पास गई, छब देखी जब पिया कि तो मैं
अपनी भूल गई ।
यही प्रार्थना है उस
विधाता से कि काशी की दिव्यता, भव्यता, ओजस्विता ऐसे ही बनी रहे और काशी को
निहारने वालों का काशी, को जीने वालों का मेला ऐसे ही लगा रहें।।
जय काशी
हर हर महादेव
भारत माता की जय
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