Monday 6 April 2020

कुछ सवाल जिनके जवाब सेक्युलर लोगों को देने चाहिए ।

आज देश में एक नए तरीके की असहिष्णुता पनप रही है, जिनकी बातों को देश बिना किसी प्रश्न के 70 सालों से सुन रहा था, आज वही समाज कुछ सवाल उठाने लगा तो बुरा लग रहा है कुछ लोगों को ??
कुछ सवाल आपके सामने रख रहा हु उनसे जुड़े फैक्ट्स आपको किताबों और गूगल पर मिल जाएंगे।
1- जब 1946 के चुनाव में जिन्नाह की पार्टी के 90% प्रतिशत उम्मीदवार जीत गए मुस्लिम बहुल सीटों से, क्योंकि उस समय पृथक निर्वाचन प्रणाली थी, तो आज लोग ये क्यों कहते है की जिनको पाकिस्तान प्यारा था वो पाकिस्तान चले गए,
अरे 1946 में तो भारत के 90% मुसलमानों ने पाकिस्तान के पक्ष में मतदान किया था और गए 2% भी नही क्यों ??
2- जिस इलाके में पाकिस्तान बना वहां के लोगों ने मांग की थी पाकिस्तान की ?? क्या वहां से जिन्नाह की पार्टी के उम्मीदवार जीते थे??
3- जब तथाकथित रूप से देश आज़ाद हुआ 1947 में जबकि वो transfer of power थी, तो पहला गवर्नर जनरल माउंटबेटन को क्यों बनाया??
4- धारा 314 संविधान में क्यों डाली गयी अंग्रेज अफसरों की रक्षा के लिए??
5- नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी की तस्वीर संसद में तब ही क्यों लग पाई जब गैर कांग्रसी सरकार सत्ता में आयी ? 23 जनवरी 1978 को अटल जी की पहल पर संसद में नेता जी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर संसद में लगी ।
6-माउंट बेटन की बीवी को संसद में श्रद्धांजलि दी गयी, लोकनायक जय प्रकाश नारायण को क्यों नही ??
7- नेता की सुभाष चन्द्र बोस जी की मृत्यु की जांच को लेकर 3 आयोग बने तीसरे आयोग ने जब ये सिद्ध कर दिया की नेता जी की मौत तथाकथित विमान दुर्घटना में नही हुई तो बिना कोई वजह बताए सरकार ने उस आयोग की रिपोर्ट को मानने से इंकार क्यों कर दिया गया??
8- शास्त्री जी की मौत को लेकर खुलासा आजतक क्यों नही हुआ? क्यों कांग्रेस की सरकार ने शास्त्री जी का पोस्टमार्टम नही करवाया??
9- mitrokhin archive 2 (जो की सोवियत रूस की intelligence एजेंसी के दस्तावेज है) में की इंदिरा कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी पर लगे आरोपों की जांच क्यों नही हुई जिसमें ये स्पष्ट लिखा है की शास्त्री जी की मौत का जिम्मेदार कौन है??
10- आज़ाद हिन्द फौज का पूरी तरह से जिक्र हमारी स्कूल की इतिहास की किताबों में क्यों नही है??
11- इंग्लैंड के प्रधानमंत्री का कलकत्ता में दिया बयान जिसमें उन्होंने कहा की हमें भारत सिर्फ सुभाष चन्द्र बोस और आज़ाद हिंद फौज की वजह से छोड़ना पड़ा, हमारी इतिहास की किताबों में क्यों नही है?
12- जब लोग ये ज्ञान देते है की गांधी जी को पढ़ो, नेहरू को पढ़ो तो वही secular लोग ये क्यों नही कहते की नेता जी सुभाष चन्द्र बोस,वीर सावरकर को पढ़ो?
13- जेल से अपनी बेटी को दिन में 2 बार पत्र लिखने वाले( जवाहर लाल नेहरू )देश प्रेमी और कालापानी की सजा भुगतने वाले( महान वीर सावरकर ) अंग्रेजो के दलाल क्यों??

सवाल तो अनगिनत है लेकिन ये दावे के साथ कह सकता हूं कि एक भी सवाल का जवाब secular जमात नही देगी और अगर आप सवाल पूछ लेंगे तो आपको फासीवादी घोषित कर देगी ये जमात लेकिन आप देशभक्त लोग हिम्मत करते रहिए सवाल पूछते रहिए
जय हिन्द, भारत माता की जय ।

Sunday 5 April 2020

कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम और सोया हुआ समाज तथा सुप्रीमकोर्ट का ढुल मुल रवैया ।

भारत में एक और बीमारी है जो कि जान लेवा है जिसको कहते है politicaly correct होना, मतलब की सभी लोग ये चाहते है कि सभी मुझको अच्छा ही कहे, चाहे उसके लिए मुझे झूठ को सच ही क्यों ना बोलना पड़े ।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण उस समय देखने को मिला जब जम्मू कश्मीर राज्य से धारा 370 और 35A को हटाया गया,
तब कुछ polticaly correct नामक वायरस से ग्रस्त लोगों ने ये बोलना शुरू कर दिया कि
जम्मू कश्मीर की जमुरियत, कश्मीरियत और इंसानियत पर प्रहार किया गया है ।
मुझे आजतक ये समझ में नही आया कि वो कौन सी कश्मीरियत, जमुरियत और इंसानियत थी जिसकी वजह से 10000 से ज्यादा कश्मीरी पंडितों का कत्ल हुआ?? 
मुझे आजतक समझ में नही आया कि अगर जम्मू कश्मीर में इंसानियत थी तो क्यों टीका लाल टफरु को मार कर उनकी लाश के चारों ओर वहां की स्थानीय मुस्लिम जनता नाच रही थी??
अगर कश्मीर का बहुसंख्यक समुदाय इतना ही अच्छा था तो जिस रात ये कत्लेआम हुआ उस रात मस्जिदों के लाउडस्पीकरों से तेज आवाजों में अजान क्यों दी जा रही थी??
वो लोग जो धारा 370 और 35A हटने पर इतना मातम मना रहे है उनसे यही सवाल है कि क्यों आप लोग कश्मीरी पंडितों के कत्लेआम पर चुप थे??

मेरा सवाल सुप्रीम कोर्ट से भी है की एक अखलाख की मौत हुई ( जो की गलत नही और उसके अपराधियों को सजा होनी ही चाहिए भारतीय सम्विधान के दायरे में ) तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा की ये mob linching बर्दाश्त नही की जाएगी और उसका स्वतः संज्ञान भी लिया और कार्यवाही हुई उसको मुआवजा भी मिला,
लेकिन वही सुप्रीम कोर्ट गिरीजा टिक्कू जो की कश्मीरी पंडित थी किसी तरह अपनी जान बचाकर भागी थी कश्मीर से ,
उसको वापस उसके साथी मुसलमानों ने फोन करके बुलाया उसका गैंगरेप  किया और उसके शरीर के टुकड़े करके फेंक दिए तब क्यों नही बोला सुप्रीमकोर्ट की मॉबलिंचिंग नही बर्दाश्त की जाएगी ?
और तो और जब कश्मीरी पंडित 2020 में सुप्रीमकोर्ट पहुँचे की हमारी एक FIR तो करवा दीजिये कश्मीर के थानों में, तो सुप्रीमकोर्ट ने कहा की हमारे पास समय नही है इस मामले पर सुनवाई करने का और ये मामला बहुत पुराना हो चुका है ।

क्या ये सम्विधान कश्मीरी पंडितो के हितों की रक्षा के लिए नही है??
क्या गिरिजा टिक्कू , टिका लाल टफरु और हजारों कश्मीरी पंडितों की हत्या हत्या नही थी??
सवाल तो हमको उठाने पड़ेंगे तभी हमारे कश्मीरी पंडित भाइयों को न्याय मिल पायेगा ।


Saturday 4 April 2020

भारत की संसद में नेता जी की पहली तस्वीर first portrait of neta ji subhash chandra bose in indian parliament


 भारत की आज़ादी में नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी के योगदान को जिस तरह से भुलाया गया उसको आप सिर्फ एक बात से समझ सकते है,
कि आज़ाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री नेहरू (क्यों की नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी ने 21 अक्टूबर 1943 को सिंगापुर में अस्थाई आज़ाद हिन्द सरकार बनाई थी, जिसे जर्मनी, जापान, फिलीपीन्स, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी थी ) ने पहले संबोधन (नियति से साक्षात्कार) tryst with destiny में एक बार भी नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी का नाम तक नही लिया ।Transfer of power के तुरंत बाद1947 में भारत की संसद में एक मांग उठी की नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी की एक तस्वीर संसद में लगाई जानी चाहिए, लेकिन आज़ाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री नेे उस मांग को खारिज कर दिया,
और पहली बार नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी की तस्वीर 23 जनवरी 1978 को संसद में लगाई गयी जब भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी भारत के विदेश मंत्री बने ।

योगेश्वर श्रीकृष्ण

                                                       ।।।।  जय श्री कृष्णा ।।।।                                                            ...