Tuesday 5 September 2017

श्रेष्ठ शिक्षक

उनकी करुणा में कोई कमी है नही,
योग्यता में हमारी कमी रह गयी,
सूर्य के उगने में कोई कमी है नही,
पात्रता में हमारी कमी रह गयी।

आप सभी को dr सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और शिक्षक दिवस की ढेर सारी बधाइयां आप सभी को

एक शिक्षक एक अध्यापक कभी भी अपने शिष्यों को सिखाने में अपनी ओर से कोई कोर कसर छोड़ता नही है। दिन रात एक दीपक की भांति स्वयं जलकर अपने शिष्य के जीवन में उजियारा करता है।
एक मोमबत्ती की भांति तिल तिल जलकर स्वयं को भले की खत्म कर दे लेकिन अपने शिष्य का साथ तबतक नही छोड़ता है , जबतक  उसके जीवन मे स्थायी उजाला ना आ जाये,,

एक बहुत ही दिलचस्प किस्सा याद आता है भारत रत्न और भारत के मिसाइल man कहे जाने वाले dr apj abdul kalam और isro के पूर्व चेयरमैन प्रोफेसर सतीश धवन का ,,

बात है 1979 की,,
एक सैटेलाइट लॉन्च के समय की,
उस मिशन के डायरेक्टर थे, डॉ ऐ पी जे अब्दुल कलाम ।

सारे विशेषज्ञ कलाम साहब से कहते रह गए कि लॉन्चिंग के लिए अभी हम तैयार नही है सिस्टम में कुछ खराबी आ गयी है,
लेकिन कलाम साहब ने लॉन्चिंग रदद् नही की, फिर हुआ वही जो होना था । वो सैटेलाइट लांचिंग fail हो गयी,

इस घटना के बाद कलाम साहब अपने cabin में अकेले बैठे हुए थे ,तभी उनके पास prof सतीश धवन आये जो कि उस समय isro के चेयरमैन थे,, कलाम साहब प्रोफेसर धवन को अंतरिक्ष विज्ञान में अपना गुरु मानते थे।

उन्होंने कलाम साहब से कहा कि चलिए बाहर प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी है, कलाम साहब सोचने लगे असफलता का ठीकरा उनके सर ही फोड़ा जाएगा,
लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा प्रोफेसर धवन ने कहा कि इस असफलता की सारी जिम्मेदारी मैं लेता हूँ । मेरे ही मार्गदर्शन में ये सारा मिशन संचालित हुआ था,,
लेकिन ठीक 1 साल बाद जब वह मिशन  कलाम जी के नेतृत्व में सफल हुआ तब प्रोफेसर धवन ने कलाम साहब से कहा जी जाईये press वाले आपका इंतजार कर रहे है, और professor धवन खुद उस प्रेस कांफ्रेंस मे नही गए। और इस सफलता का सारा श्रेय कलाम साहब को मिला।

एक शिक्षक कभी भी अपनी शिष्य को उसकी असफलता में उसे अकेला नही छोड़ता है ,
बल्कि असफलता के समय सभी चुभते हुए सवालों का खुद सामना करता हैं, और सफलता के समय सभी कोमल अनुभूतियों और अनुभवों का एहसास उसको खुद करने देता है,..।।

Saturday 2 September 2017

अंतर्द्वन्द

#अंतर्द्वन्द

आज पहली बार एहसास हुआ कि, दूसरों को खोने के मुकाबले खुद को खोने का दर्द बहुत अधिक होता है।।
रोज की तरह आज भी कुछ बिछड़े हुए अजीजों की याद में खोया हुआ था,
तब याद आयी उस बिछड़े हुए विनीत की भी, जो हसमुख था,
कभी उदास नही होता था,
कभी किसी बात की इतनी चिंता नही करता था,
जिसको किसी के आने या जाने से कोई फर्क नही पड़ता था,
जिसको चिंता नही थी कि कोई उसके बारे में क्या सोचता है,
जो अपनी  धुन में मग्न रहता था,
जिसका मन एकाग्र था,
जो ज्यादा सोचता नही था,
जिसको हसने के लिए झूठी मुस्कान की जरूरत नही थी,

आज वो विनीत खो गया है,
इन विनीत को दूसरों के दूर जाने का दुख भी है,
खुद को खो देने की पीड़ा भी है,
और मन की एकाग्रता खंडित होने का कष्ट भी है।

लेकिन खुशी सिर्फ और सिर्फ इस बात की है कि,, कभी ना हार मानने का जो जज्बा उस खोये हुए विनीत में था वो इस विनीत में भी है।

अटल जी की ये कविता उस विनीत को भी याद थी, और ये विनीत भी उन पंक्तियों को भूला नही है,

टूटे हुए सपनों की सुने कौन सिसकी,
अंतर को चीर व्यथा पलको पर ठिठकी,
हार नही मानूंगा, रार नई ठानूँगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ,
गीत नया गाता हूँ,गीत नया गाता हूँ।

योगेश्वर श्रीकृष्ण

                                                       ।।।।  जय श्री कृष्णा ।।।।                                                            ...