हाँ ये परिंदे बड़ी दूर के है
दिल ना लगाना इनसे कभी तुम
चले जो गए, बस बचेंगे अंधेरे ,
जो संग में नहीं तुम ,
तो तम मुझको घेरे ,
पता ना चला कैसे ,
पड़े है ये फेरे ।
हाँ ये परिंदे बड़ी दूर के है
दिल ना लगाना इनसे कभी तुम
अभी साथ दे दो ,या बाहें छुड़ा लो ,
ये धानी सी चादर मुझे भी ओढ़ा लो ,
जो तुम साथ होते ,
तो होते सवेरें,
ना झंझट में पड़ते ,
ना होते ये फेरे ,
हाँ ये परिंदे बड़ी दूर के है
दिल ना लगाना इनसे कभी तुम
मेरे हर सवालों का जवाब थे तुम ,
ये कैसे बताऊ कितने लाजवाब थे तुम ,
तुम जो नहीं हो तो ,
कुछ भी नहीं है ,
ये सांसे उधार की है ,
इंतहा की घड़ी है ।
हाँ ये परिंदे बड़ी दूर के है
दिल ना लगाना इनसे कभी तुम
दिल ना लगाना इनसे कभी तुम
-- विनीत मिश्रा --
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