Sunday, 1 December 2024

गीत — जिसकी जान जा रही हो , रोये ना तो क्या करें

 भीड़ में भी हो अकेला खोये ना तो क्या करे?

जिसकी जान जा रही हो , रोये ना तो क्या करे?

दूर होके उससे मेरा ,मन करे तो क्या करे?
उसकी यादों कि ये माला,तोड़े पिरोए क्या करे?
संगिनी ही साथ नहीं , मन ये धीरज खोये ना तो क्या करें?
असुओं की धार से, मन भिगोए ना तो क्या करें?

ज़िंदगी ही खंडहर है , महल बनाके भी ये क्या करे?
जिसकी जान जा रही हो , रोये ना तो क्या करे?

दूध से तो कुछ ना हुआ , छाछ से जले रहे,
दोस्त भी तो दुश्मनों के संग ही मिले रहे ,
जिनको देखना ना चाहा , मिलते हमसे वो गले रहे,
प्यार के जो रस्ते चले मौत में पले रहे,

संगी साथी दूर सारे, नयन भिगोये ना तो क्या करे
जिसकी जान जा रही हो , रोये ना तो क्या करे?
-- विनीत मिश्रा --

No comments:

Post a Comment

गीत -- क्यों आँखें है गीली सबब पूछते हो ? ये वर्षों से ऐसी है अब पूछते हो !

क्यों आँखें है गीली सबब पूछते हो , ये वर्षों से ऐसी है अब पूछते हो । रो के पुकारा तो, नज़रे फिरा ली , जो आँखों में झाका तो, आँखे चुरा ली , ज...