Sunday, 1 December 2024

गीत -- क्यों आँखें है गीली सबब पूछते हो ? ये वर्षों से ऐसी है अब पूछते हो !

क्यों आँखें है गीली सबब पूछते हो ,
ये वर्षों से ऐसी है अब पूछते हो ।


रो के पुकारा तो, नज़रे फिरा ली ,
जो आँखों में झाका तो, आँखे चुरा ली ,
जो बाहों को थामा तो दामन छुड़ाया ,
हसना जो चाहा तो, जी भर रुलाया ,

तुम मेरी पीड़ा तो कब बुझते हो ।

क्यों आँखें है गीली सबब पूछते हो ,
ये वर्षों से ऐसी है अब पूछते हो ।

मेरी तो निगाहों ने बस तुझको देखा ,
जीवन की रेखा तू , क़िस्मत की रेखा ,
तुझसे तो आगे मैं बढ़ ही ना पाया ,
सपना कोई दूजा गढ़ ही ना पाया ,

मुझको तो बस तुम ही ,तुम सूझते हो


क्यों आँखें है गीली सबब पूछते हो ,
ये वर्षों से ऐसी है अब पूछते हो ।

ये तब क्यों ना पूछा की जब था अकेला ,
अब याद आया मैं , जब संग में है मेला ,
कैसा हूँ मैं , तुम ये अब सोचते हो ,
गए सूख आँसू तो अब पोछते हो ।

                                              -- विनीत मिश्रा --

गीत - हाँ ये परिंदे बड़ी दूर के है दिल ना लगाना इनसे कभी तुम

हाँ ये परिंदे बड़ी दूर के है
दिल ना लगाना इनसे कभी तुम

जो संग में है तेरे तो है सिर्फ़ तेरे ,
चले जो गए, बस बचेंगे अंधेरे ,
जो संग में नहीं तुम ,
तो तम मुझको घेरे ,
पता ना चला कैसे ,
पड़े है ये फेरे ।

हाँ ये परिंदे बड़ी दूर के है
दिल ना लगाना इनसे कभी तुम

अभी साथ दे दो ,या बाहें छुड़ा लो ,
ये धानी सी चादर मुझे भी ओढ़ा लो ,
जो तुम साथ होते ,
तो होते सवेरें,
ना झंझट में पड़ते ,
ना होते ये फेरे ,

हाँ ये परिंदे बड़ी दूर के है
दिल ना लगाना इनसे कभी तुम

मेरे हर सवालों का जवाब थे तुम ,
ये कैसे बताऊ कितने लाजवाब थे तुम ,
तुम जो नहीं हो तो ,
कुछ भी नहीं है ,
ये सांसे उधार की है ,
इंतहा की घड़ी है ।

हाँ ये परिंदे बड़ी दूर के है
दिल ना लगाना इनसे कभी तुम
                                               -- विनीत मिश्रा --

गीत — जिसकी जान जा रही हो , रोये ना तो क्या करें

 भीड़ में भी हो अकेला खोये ना तो क्या करे?

जिसकी जान जा रही हो , रोये ना तो क्या करे?

दूर होके उससे मेरा ,मन करे तो क्या करे?
उसकी यादों कि ये माला,तोड़े पिरोए क्या करे?
संगिनी ही साथ नहीं , मन ये धीरज खोये ना तो क्या करें?
असुओं की धार से, मन भिगोए ना तो क्या करें?

ज़िंदगी ही खंडहर है , महल बनाके भी ये क्या करे?
जिसकी जान जा रही हो , रोये ना तो क्या करे?

दूध से तो कुछ ना हुआ , छाछ से जले रहे,
दोस्त भी तो दुश्मनों के संग ही मिले रहे ,
जिनको देखना ना चाहा , मिलते हमसे वो गले रहे,
प्यार के जो रस्ते चले मौत में पले रहे,

संगी साथी दूर सारे, नयन भिगोये ना तो क्या करे
जिसकी जान जा रही हो , रोये ना तो क्या करे?
-- विनीत मिश्रा --

ना मोहब्बत इस कदर होती

 ना मोहब्बत इस कदर होती ,

ना ज़िंदगी दर बदर होती ,
की हम भी चुन लेते मोती,
जो निगहों में तू नहीं होती ,

ना मोहब्बत इस कदर होती ,
ना ज़िंदगी दर बदर होती ,

यू जीते शान से हा हम ,
ना जाते जान से हा हम ,-२
यहाँ गर तू नहीं होती ,
ना ज़िंदगी दर बदर होती ,

ना मोहब्बत इस कदर होती ,
ना ज़िंदगी दर बदर होती ,

खुदी को आंक लेते हम ,
उसी से माँग लेते हम,-२
दुआ में तू नहीं होती ,
तो झोली ये भरी होती ।

ना मोहब्बत इस कदर होती ,
ना ज़िंदगी दर बदर होती ,

जो तेरा देखा था सपना ,
वही तो मेरा था अपना, - २
आहों में तू नहीं होती ,
ना ज़िंदगी दर बदर होती ।

ना मोहब्बत इस कदर होती ,
ना ज़िंदगी दर बदर होती ,

जो लिपटकर गले मिले होते,
ये घाव सब सिले होते -२
ये कलम ना आसुओं से तर होती ,
तू मेरे संग अगर होती ।

ना मोहब्बत इस कदर होती ,
ना ज़िंदगी दर बदर होती ,

ये मौसम ख़ुशनुमा होता ,
हम पर भी कोई फ़ना होता ,-२
ये ज़िंदगी ख़ाली नहीं होती
जो मोहब्बत जाली नहीं होती

ना मोहब्बत इस कदर होती ,
ना ज़िंदगी दर बदर होती ,

कदम में आसमा होता ,
जो संग संग तू चला होता ,-२
तू मेरे सैंग खड़ी होती ,
जो ख़ुद से तू लड़ी होती ।

ना मोहब्बत इस कदर होती ,
ना ज़िंदगी दर बदर होती ,

गीत - इतना क्यों याद तुम आ रहें हो ??

आंखे नम है और भीगी हैं पलकें ,
इतना क्यों याद तुम आ रहे हो?? 1 ??

अब ना संगी है वो, ना ही साथी हो तुम,
ना दिया हम ही है, ना ही बाती हो तुम,
हम तो अपने भी हो ही ना पाए,
तुम तो गैरों के गुन गा रहे हो ।।

आंखे नम है, भीगी है पलके ,
इतना क्यों याद तुम आ रहे हो ?? 2 ??


अब ना यारी है वो, ना ही याराना है,
तू वो मंजिल जिसे अब नही पाना है,
जी ही लेंगे हा हम ही अकेले,
तुम तो संग उनके इठला रहे हो,

आंखे नम है, भीगी है पलके ,
इतना क्यों याद तुम आ रहे हो ?? 3 ??

तुमसे बोला था तब, लौट आओ ना तुम,
अब तो यादों में आके सताओ ना तुम,
टूटे टूटे है अरमान सारे,
मुझको ऐसे जो ठुकरा रहे हो,

आंखे नम है और भीगी है पलकें।
इतना क्यों याद तुम आ रहे हो ?? 4 ??

गीत -- क्यों आँखें है गीली सबब पूछते हो ? ये वर्षों से ऐसी है अब पूछते हो !

क्यों आँखें है गीली सबब पूछते हो , ये वर्षों से ऐसी है अब पूछते हो । रो के पुकारा तो, नज़रे फिरा ली , जो आँखों में झाका तो, आँखे चुरा ली , ज...