क्यों आँखें है गीली सबब पूछते हो ,
ये वर्षों से ऐसी है अब पूछते हो ।
रो के पुकारा तो, नज़रे फिरा ली ,
जो आँखों में झाका तो, आँखे चुरा ली ,
जो बाहों को थामा तो दामन छुड़ाया ,
हसना जो चाहा तो, जी भर रुलाया ,
तुम मेरी पीड़ा तो कब बुझते हो ।
क्यों आँखें है गीली सबब पूछते हो ,
ये वर्षों से ऐसी है अब पूछते हो ।
मेरी तो निगाहों ने बस तुझको देखा ,
जीवन की रेखा तू , क़िस्मत की रेखा ,
तुझसे तो आगे मैं बढ़ ही ना पाया ,
सपना कोई दूजा गढ़ ही ना पाया ,
मुझको तो बस तुम ही ,तुम सूझते हो
क्यों आँखें है गीली सबब पूछते हो ,
ये वर्षों से ऐसी है अब पूछते हो ।
ये तब क्यों ना पूछा की जब था अकेला ,
अब याद आया मैं , जब संग में है मेला ,
कैसा हूँ मैं , तुम ये अब सोचते हो ,
गए सूख आँसू तो अब पोछते हो ।