Sunday, 28 August 2016

काशी विद्यापीठ ( विद्या का सिद्धपीठ )

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मैं खुद को बहुत ही सौभाग्यशाली समझता हूँ, कि मुझे एक ऐसे विश्वविद्यालय( महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ) में शिक्षा ग्रहण करने का अवसर प्राप्त हुआ, जिसके कण-कण में देश के प्रति सम्मान और देशप्रेम निहित हैं।।
राष्ट्र को समर्पित यह संस्था जिसके प्रांगण में विश्व का इकलौता और सबसे अनोखा मंदिर हैं, जो किसी धर्म का परिचायक नहीं है,अपितु संपूर्ण भारत की एकता और अखंडता को अभिव्यक्त करता हैं।।
एक ऐसा विश्वविद्यालय जिसके कुलगीत को पढ़ भर लेने से  राष्ट्रप्रेम की एक ऐसी लहर मन में दौड़ उठती हैं, कि उसे शब्दों में बयां करना नामुमकिन हैं।।
काशी विद्यापीठ में शिक्षा ग्रहण करने के बाद मैं अपने जीवन में क्या करूंगा, ये तो भविष्य के गर्भ में हैं। लेकिन इतना जरूर जानता हूँ,, कि राष्ट्र के प्रति समर्पण की जो प्रेरणा और सीख यहां मिली हैं उसको कभी भी विस्मरण नहीं करूंगा।।
आप सभी के लिए अपने विश्वविद्यालय का कुलगीत साझा कर रहा हूँ,, जय हिंद
                     कुलगीत  
विद्या के सिद्धपीठ जय महान, हे! जय-जय हे चिर नवीन चिर पुराण हे!
 भारत की भव्य भारती के स्वर तुम!  राष्ट्रभावना  के संदेश मुखर तुम!
      बलिदानों के गुरूकुल महाप्राण हे ! जय-जय हे चिर नवीन चिर पुराण हे !
          हे अभिनव भारत के भाग्य विधाता ! कोटि-कोटि जनता के मुक्ति प्रदाता !
जन-गण को करते नेतृत्व-दान हे !जय-जय हे चिर नवीन चिर पुराण हे!
ऋषियों  की  वाणी के तुम  व्याख्याता !  नूतन   विद्याओं  के  अनुसंधाता !
          आत्मा  के शिल्पी  संकल्पवान  हे ! जय-जय हे चिर नवीन चिर पुराण हे !
          गांधी के गरिमा से ओत-प्रोत तुम! शिवप्रसाद की विभूति, शक्ति-स्त्रोत तुम !
तुममें भगवानदास मूर्तिमान हे! जय-जय हे चिर नवीन चिर पुराण हे  !
कल्पना नरेन्द्रदेव की विराट तुम ! पुण्य भूमि भारत माँ के ललाट तुम !
          दे रहे समन्वय का दिव्य ज्ञान हे ! जय-जय हे चिर नवीन चिर पुराण हे !
    इस  विद्या-मंदिर  की  अमर   भारती ! राष्ट्रदेवता  की  कर  रही आरती !
ज्योतित हम दीपवर्तिका-समान हे! जय-जय हे चिर नवीन चिर पुराण हे!
सत्य अहिंसा के हे दृढ़ व्रतकारी ! युग-युग  तक अटल रहे मूर्ति  तुम्हारी !
      युग-युग तक विश्व करे कीर्ति गान हे! जय-जय हे चिर नवीन चिर पुराण हे!
   नभ  में लहरायें यह पुण्य पताक  !  जिस पर  है  चित्र टँका भारत माँ का !
शंभू  के  त्रिशूल-शलाका-प्रमाण हे ! जय-जय हे चिर नवीन चिर पुराण हे !  

अरूणाचल प्रदेश ( आलेख )

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पूरा पढ़ियें और जवाब जरूर दीजिए,,देश से जुड़ी बात हैं!

भारत का सबसे पूर्वी राज्य अरूणाचल प्रदेश ,,सूरज सबसे पहले किरणें इसी घरती को देता हैं, उसके बाद ही संपूर्ण भारतवर्ष में अपनी झटा बिखेरता हैं,,आज अरूणाचल प्रदेश की बात इसलिए कर रहा हूँ।
क्यों कि मैं एक तुलना करना चाहता हूँ , अरूणाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर की----
1-             दोनों ही राज्य सीमावर्ती हैं।
2-             दुर्गम हैं।
3-             सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
4-             दोनों ही राज्यों पर हमारे दुश्मन देश की नजर हैं।
ये चार चीजें तो समान हैं दोनो राज्यों में लेकिन कई ऐसी चीजें भी हैं जो कि बिल्कुल अलग हैं—
1-             सरकार जितना धन जम्मू और कश्मीर पर खर्च करती है,, उतना अरूणाचल प्रदेश पर नहीं करतीं।।
2-             जम्मू और कश्मीर में रेल और रोड नेटवर्क को मजबूत करने की दिशा में काफी काम हो रहा है,, जबकि अरूणाचल प्रदेश के विकास को लेकर सरकार उतनी गंभीर नहीं हैं।।
3-             जम्मू और कश्मीर पर पाकिस्तान की नापाक नजर हैं तो अरूणाचल प्रदेश पर चीन की,, पाकिस्तान कश्मीर पर कब्जा कर भारत के लिए नई मुसीबत खड़ी करना चाहता है तो चीन अरूणाचल प्रदेश को जीतकर अपना विस्तार भूटान तक करना चाहता हैं।।
4-             भारत सरकार कश्मीर पर इतना पैसा खर्च करती है और कश्मीर से देश को क्या मिलता है सिर्फ और सिर्फ धोखा, गोलियां, आतंकवादी हमले और भीतरघात,,,
लेकिन अरूणाचल प्रदेश के लोगों को आजतक कभी भी भारत विरोधी नारें लगाते या सेना पर हमला करते नहीं देखा होगा।।
वहां के लोगो के सामने चमकता हुआ चीन हैं,,जहां उन्हें हर सुविधा मिल सकती हैं,, और चीन हमेशा से ही वहां के लोगों को ऐसे प्रलोभन देता भी रहता है,, लेकिन ऐसा क्या है कि सरकार की बेरूखी और चीन के प्रलोभनों के बावजूद अरूणाचल प्रदेश के लोग मजबूती से अपने देश के साथ खड़े हैं और कश्मीर के लोग हाथों में पत्थर और पिस्तौल लिए अपने ही देश के खिलाफ खड़े हैं।।
मुझे समझ नहीं आता कि ये घिनौनी सोच आई कहा से है इन कश्मीर के दंगाईयों में ,,, ।
एक सवाल और मन को परेशान करता है कि इतनी परेशानियों के बावजूद, विकास न होने के बावजूद,
चीन के डर, भय और लालच के बावजूद भी अरूणाचल प्रदेश देश के साथ हैं और चीन का डटकर मुकाबला कर रहा हैं। जवाब तो मुझे आजतक मिला नहीं कि अरूणाचल के लोगों में इतना देशप्रेम हैं,, वहीं कश्मीरीयों के मन में इतना देशद्रोह।।
शायद DNA में ही गढ़बढ़ हैं कश्मीरियों के भारत के लोगो के मेल नहीं खाता,, अगर उनकी रगों में भी भारतीय खून होता तो कभी भी अपने देश का बुरा नहीं सोचते।।

Tuesday, 23 August 2016

भाई-बहन का प्यार (विनीत मिश्र)

भाई-बहन का प्यार 

       एक बार एक पाँच साल की बच्ची , अपने तीन साल के भाई को गोद में लेकर पहाड़ के कठिन और थका देने वाले रास्ते पर चल रही थी. उस लड़की के पीछे पीछे एक महात्मा जी भी जा रहे थे ,  
    उन्होंने देखा की छोटी बच्ची बहुत ही ज्यादा थक चुकी है और पसीने से तरबतर हो चुकी है , महात्मा जी ने उस छोटी बच्ची से पूछा , कि बेटा आप थक नहीं रहे हो ? 
     उस बच्ची ने जवाब दिया, नहीं , और चुपचाप आगे आगे चलने लगी , 
    महात्मा जी भी उसके पीछे पीछे ही चलने लगे , महात्मा जी से उस लड़की की ये हालत देखी नहीं जा रही थी , तो उन्होंने उससे कहा की अपने भाई को कुछ देर के लिए मेरी गोद में दे दो , 
     बच्ची ने ऐसा करने से मना कर दिया , महात्मा जी ने कुछ दूर चलने के बाद फिर अपना सवाल दोहराया की बेटा आप थक नहीं रहे हो ? उसने फिर जवाब दिया , नहीं। 
      महात्मा जी आश्चर्य में पड़ गए कि ये ऐसा कैसे कर पा रही है, उन्होंने फिर कई बार यही सवाल उस बच्ची से पूछा लेकिन अब वो लड़की महात्मा जी को नजरअंदाज करने लगी थी , 
    उनके साथ होने के बावजूद वो उनकी बातो को अनसुना कर लगे थी , जिस कारण अब महात्मा जी का धैर्य जवाब देने लगा था , और आखिर में थकहार कर महत्मा जी ने गुस्से में आकर , बच्ची से वही सवाल दोबारा पूछा तो , लड़की ने ऐसा उत्तर दिया की महात्मा जी मौन हो गए ,,,,,, 

    उस बच्ची ने उत्तर दिया की ये मेरा भाई है, इसलिए मैं थक नहीं रही हू । इस कहानी को लिखने का कारण सिर्फ इतना सा है की आप सब अपनी बहनो को उचित सम्मान दे और उनके प्रति अपने प्यार को कभी भी कम ना होने दे ||


योगेश्वर श्रीकृष्ण

                                                       ।।।।  जय श्री कृष्णा ।।।।                                                            ...